
भोपाल
मध्य प्रदेश में 230 करोड़ का वेतन घोटाला सामने आया है जिसमें 50,000 सरकारी कर्मचारियों को पिछले महीनों से सैलरी नहीं मिली है। जानकारी के मुताबिक एमपी के कार्यबल के लगभग 9 फीसदी हिस्से को सैलरी ना दिया जाने की समस्या ने बड़े घोटाले का रूप ले लिया है और माना जा रहा है कि राज्य का अब तक का सबसे बड़ा सैलरी स्कैम हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी गई उनके नाम सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद हैं। इन कर्मचारियों का नाम और कर्मचारी कोड सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। किन किसी कारण से पिछले साल दिसंबर से इनकी सैलरी इन्हें नहीं दी गई है।
तीन बड़े सवाल
ऐसी चीजें सामने आने के बाद अब तीन बड़े सावल खड़े हो गए हैं। क्या ये कर्मचारी अनपेड लीव पर हैं? क्या इन्हें निलंबित किया गया है? या ये महज़ घोस्ट कर्मचारी हैं यानी कागज़ों पर तो हैं, असल में नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक 23 मई को आयुक्त कोषागार एवं लेखा (CTA) ने सभी ड्रॉइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर्स (DDO) को लेटर भेजा था। इस लेटर में इस चौंकाने वाले मामले की जांच के लिए कहा गया था।
इसमें कहा गया था, IFMIS के अंतर्गत रेगुलर/नॉन रेगुलर कर्मचारियों का डेटा, जिनका वेतन दिसंबर 2024 से नहीं निकाला गया है। हालांकि कर्मचारी कोड मौजूद हैं, लेकिन IFMIS में उनका वेरिफिकेशन अधूरा है, और एग्जिट प्रोसेस भी नहीं किया गया है। इस लेटर के बाद, 6,000 से ज्यादा DDO जांच के दायरे में हैं और उनसे 15 दिनों में संभावित 230 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। इसकी समय-सीमा आज समाप्त हो जाएगी।
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