August 21, 2025

फ्रिज में सुरक्षित मातृत्व! Egg Freezing क्या है और आपके लिए क्यों ज़रूरी हो सकता है

नई दिल्ली

मातृत्व का सफर महिलाओं के लिए हमेशा से एक भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दा रहा है. मां बनना, अपनी गोद में अपने अंश को देखना आज भी हर महिला के लिए सबसे अहम है लेकिन कई बार करियर की दौड़, परिवार की जिम्मेदारियां या सही साथी न मिल पाने की वजह से यह सपना पूरा नहीं हो पाता और समय की बाध्यताएं उनके मातृत्व के सपनों को चुनौती देती हैं. यहीं से आता है एग फ्रीजिंग का चलन. एक ऐसा आधुनिक समाधान जो महिलाओं को उनके सपनों को जीवित रखने का अवसर देता है.

भारत में बढ़ा एग फ्रीजिंग का ट्रेंड
हाल के वर्षों में, भारत में एग फ्रीजिंग का ट्रेंड काफी प्रचलित हुआ है. एग फ्रीजिंग को मेडिकल भाषा में Oocyte cryopreservation कहते हैं, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें महिलाएं अपने अंडों को भविष्य के लिए संरक्षित कर सकती हैं, ताकि जब वे तैयार हों, तब मां बनने का सपना पूरा कर सकें. यह तकनीक न केवल करियर और मातृत्व के बीच संतुलन लाने में मदद करती है, बल्कि महिलाओं को बिना किसी बंधन के, बिना किसी जल्दबाजी के, अपने समय पर मां बनने का अधिकार देती है.

आसान हो रही है egg freezing की प्रक्रिया

पिछले पांच सालों में भारत में एग फ्रीजिंग की मांग में काफी वृद्धि हुई है. Egg Preservation Institute of Asia (EIPA) जो भारत में शुरू हुआ एक लीडिंग फर्टिलिटी क्लिनिक है, उसने कुछ समय पहले एट-होम एग फ्रीजिंग की शुरुआत की है. यह सर्विस के जरिए लगभग पूरी एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया को घर में ही निजता और आसानी से किया जा सकता है.  

क्यों महिलाएं करा रहीं एग फ्रीज?
अंडों को फ्रीज करने का विकल्प महिलाओं को आजादी देता है और उन्हें अपनी इच्छा के मुताबिक संतान पैदा करने का अधिकार देता है. लगातार महंगी हो रही एजुकेशन और करियर के दबाव की वजह से अधिकांश जोड़े आजकल देर से और करियर में सेटल होने के बाद ही मां-बाप बनने की प्लैनिंग कर रहे हैं ताकि संतान आने से पहले ही वो आर्थिक रूप से मजबूत हो जाएं. 

Oocyte cryopreservation महिला की फर्टिलिटी क्लॉक, हेल्थ इश्यूज, मेनापॉस या लाइफस्टाइल से प्रभावित हुए बिना अंडों को संरक्षित रखने में मदद करता है जिसके बाद वो In vitro fertilization (IVF) के जरिए बाद में इन अंडों का उपयोग मां बनने के लिए कर सकती हैं. 

कब तक करा लेनी चाहिए egg freezing

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिशियन गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीलम सूरी egg freezing (अंडे जमाना) के बारे में बात करते हुए 'आजतक डॉट इन' से कहती हैं, भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं की प्रजनन शक्ति (fertility) पहले से कम हुई है. वहीं, 30-35 वर्ष के बाद महिलाओं के अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता तेजी से गिरती है जिससे गर्भधारण के अवसर कम होते जाते हैं. इस वजह से महिलाएं अब अपने अंडों को लैब में फ्रीजिंग कर रही हैं ताकि उन्हें शादी या बच्चे की प्लानिंग के लिए बाद में उपयोग कर सकें.

कैसे होता है egg freeze

अमेरिका के ओहियो में हाल ही में 30 साल पुराने फ्रीज्ड अंडे से एक दम स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ है. इस बारे में डॉ. नीलम बताती हैं कि अंडाणु जमा कराना एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाशय से अंडाणु निकालकर उन्हें -196 डिग्री सेल्सियस पर फ्रीज कर दिया जाता है जो 20 साल तक सुरक्षित रहते हैं. कैंसर जैसी बीमारियों में भी महिलाओं के लिए एग्स फ्रीजिंग जरूरी होती है क्योंकि रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी से एग्स नष्ट हो सकते हैं.

एग फ्रीजिंग का सक्सेस रेट क्या है
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर नीलम ने कहा, 'गर्भधारण की सफलता मुख्य रूप से अंडाणु की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. 35 साल से पहले अंडा जमाने पर सक्सेस रेट करीब 60-70% होता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह घटता जाता है. इसलिए एग फ्रीजिंग जितना जल्दी हो उतना बेहतर होता है.  ज्यादातर मामलों में 20-30 वर्ष के बीच ही ऐसा कर लेना चाहिए.' 

क्या कोई भी महिला एग फ्रीजिंग करा सकती है 

डॉ. नीलम ने बताया कि भारत में एग फ्रीजिंग कानूनी रूप से वैध है और यह महिला के अपने शरीर की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है. इसलिए कोई भी इसे करा सकता है. हालांकि इसके लिए मेडिकल सलाह जरूरी है, खासकर अगर महिला को कोई गंभीर बीमारी है या उसकी फर्टिलिटी गिर रही है. एग फ्रीजिंग का फैसला महिला के व्यक्तिगत कारणों और मेडिकल इंडिकेटर्स पर आधारित होता है.

आखिर में वो बताती हैं कि अंडाणु जमाने के बाद भ्रूण में कोई आनुवांशिक समस्या न हो, इसके लिए PGD (preimplantation genetic diagnosis) कराना चाहिए ताकि स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके. egg freezing एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है. यह उनके लिए फायदेमंद है जो सही पार्टनर ना मिल पाने के कारण लेट मैरिज कर रही हैं, करियर को लेकर ज्यादा फोकस्ड हैं, या फिर किसी मेडिकल कंडीशन से जूझ रही हैं.

महिलाएं सीमित अंडों के साथ पैदा होती हैं
लखनऊ में सी के बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की सेंटर हेड डॉक्टर श्रेया गुप्ता का कहना है कि पुरुषों की तरह महिलाओं में अंडों का उत्पादन पूरे जीवन भर नहीं होता है. महिलाओं के अंडाणु (Eggs) पहले से निश्चित संख्या में होते हैं जो जन्म के समय सबसे ज्यादा होते हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उनकी संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है.  

उदाहरण के लिए 30 के बाद लगभग बड़ी संख्या में एग्स खत्म हो जाते हैं और 37 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते यह करीब 90% तक कम हो जाते हैं. इस वजह से भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में एग फ्रीजिंग की मांग बढ़ी है.

इन बीमारियों के इलाज से पहले करानी चाहिए एग फ्रीजिंग

ऑटोइम्यून और कैंसर जैसी कई बीमारियों के इलाज से पहले भी अंडाणु फ्रीज कराए जा सकते हैं क्योंकि कैंसर की दवाएं अंडाणु को नुकसान पहुंचा सकती हैं.  आज के समय में 10 से 15 वर्षों तक अंडाणु सुरक्षित रखे जा सकते हैं. हालांकि अंडाणु में लंबी अवधि तक स्पर्म या भ्रूण (एंब्रियो) की तुलना में कम समय तक सुरक्षित रह सकते हैं.  

कुछ महिलाओं के 50 की उम्र के बाद भी पीरियड्स आते हैं लेकिन वो आमतौर पर ओव्यूलेशन की वजह से नहीं बल्कि कई और वजहों से हो रहा रक्तस्राव होता है.  इसलिए सिर्फ पीरियड्स आना महिला की प्रजनन क्षमता ठीक होने का सबूत नहीं है. 40 की उम्र के बाद नैचुरल प्रेग्नेंसी के अवसर काफी कम हो जाते हैं और अगर गर्भधारण होता भी है तो ज्यादातर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के जरिए होता है.  

वो कहती हैं, '25 साल के बाद अगर पीरियड्स में गड़बड़ी या कोई समस्या हो तो तुरंत फर्टिलिटी जांच (AMH ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड) आदि करानी चाहिए.  30-35 वर्ष के बीच फर्टिलिटी जांच अनिवार्य हो जाती है, खासकर अगर आप बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं. अगर फर्टिलिटी पोटेंशियल कम पाया जाए, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार जल्द से जल्द फ्रीजिंग जैसी प्रक्रियाएं करानी चाहिए.  फ्रीजिंग के लिए सबसे उपयुक्त उम्र 20-32 के बीच मानी जाती है क्योंकि इस उम्र तक अंडाणु की गुणवत्ता अच्छी होती है.' 

किन वजहों से बढ़ रही इनफर्टिलिटी
वो बताती हैं कि खराब खानपान, पोषण की कमी, प्लास्टिक कणों से ज्यादा संपर्क, मोबाइल रेडिएशन, धूम्रपान, शराब, तनाव, और प्रदूषण जैसे कारण फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.  COVID-19 महामारी के बाद भी गर्भधारण की क्षमता प्रभावित हुई है.

एग फ्रीजिंग में कितना खर्चा आता है

डॉक्टर नीलम सूरी के अनुसार, इस प्रक्रिया की लागत अलग-अलग शहरों के हिसाब से हो सकती है और इसमें हार्मोन इंजेक्शन, प्रोसीजर और फ्रीजिंग की फीस शामिल होती है. फ्रीज किए गए अंडाणुओं को केवल उसी सेंटर में रखा जाता है जहां वो जमा किए गए थे और अगर महिला बाद में सिंगल मदर बनना चाहती है तो स्पर्म डोनर की जरूरत होगी जिसके लिए कुछ कानून नियमों का पालन करना होता है.

पटना के अवेता IVF सेंटर की चीफ इंफर्टिलिटी कंसल्टेंट और गायनी एंडोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर शशिबाला इस बारे में 'आजतक डॉट इन' को बताया कि एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया में एक बार की प्रोसीजर फीस के साथ-साथ सालाना रिन्यूवल चार्ज भी लगता है जो लगभग 10,000 से 30,000 रुपए तक हो सकता है. कुल खर्च 1-1.5 लाख रुपए तक हो सकता है.  यह विकल्प महिलाओं को तब दिया जाता है जब वो अपने अनुसार मां बनना चाहती हैं. लेकिन यह एक गारंटी नहीं है कि फ्रीज करने के बाद बच्चे का जन्म जरूर होगा. इसलिए महिलाओं को अपनी बॉयलॉजिकल क्लॉक को समझना चाहिए कि उम्र के साथ उनके अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता कैसे घटती जाती है.  

मां बनने के लिए कौन सी उम्र है सबसे सही

30-33 वर्ष से पहले बच्चे का होना सबसे बेहतर माना जाता है.  35 के बाद अंडाणुओं की गुणवत्ता में गिरावट तेजी से आती है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, बच्चा करना या फ्रीजिंग कराना बेहतर होता है. महिलाओं में 20-25 वर्ष तक फर्टिलिटी अधिक होती है, फिर धीरे-धीरे कम होती जाती है.  30-35 वर्ष तक गिरी हुई होती है और 35 के बाद तेजी से गिरती है.  

35 वर्ष के बाद प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना प्रति माह 5% कम होती जाती है. 20-25 वर्ष की महिलाएं शारीरिक रूप से और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रेग्नेंसी के लिए कम तैयार होती हैं लेकिन उनका फर्टिलिटी लेवल उस समय ज्यादा होता है. 

आखिर में डॉक्टर शशिबाला महिलाओं को नैचुरल तरीके से मां बनने या फिर एग फ्रीजिंग करवाने के लिए भी हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने की सलाद देती हैं. हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए तनाव से दूरी, जंक फूड कम खाने, प्रदूषण से बचने, रोजाना एक्सरसाइज करने, पौष्टिक भोजन, पर्याप्त धूप (विटामिन D के लिए) और अच्छी नींद जरूरी है.