
नई दिल्ली
अगर आप भी घर खरीदने का सपना देख रहे हैं, तो यह दिवाली आपके लिए खुशखबरी लेकर आ सकती है। केंद्र सरकार जीएसटी व्यवस्था को सरल बनाने की तैयारी में जुट गई है। नए प्रस्ताव के तहत मौजूदा 4 टैक्स स्लैब – 5%, 12%, 18% और 28% – को घटाकर सिर्फ दो मुख्य स्लैब, 5% और 18%, में समेटने की योजना है। वहीं, लग्जरी और नशीले उत्पादों (सिन गुड्स) के लिए 40% का विशेष स्लैब लाया जा सकता है।
GST काउंसिल की अहम बैठक जल्द
यह ऐतिहासिक बदलाव 3-4 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में हरी झंडी पा सकता है। अगर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इसका सीधा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर देखने को मिलेगा।
कैसे मिलेगा घर खरीदने वालों को फायदा?
विशेषज्ञों का मानना है कि नए जीएसटी स्ट्रक्चर से घरों की कीमतों में सीधा असर पड़ेगा। कंस्ट्रक्शन मटेरियल्स जैसे सीमेंट, स्टील, टाइल्स और पेंट पर टैक्स दरें घटने से बिल्डिंग की लागत घटेगी, जिससे फ्लैट्स की कीमतें भी नीचे आ सकती हैं।
उदाहरण: वर्तमान में सीमेंट पर 28% और टाइल्स, पेंट आदि पर 18-28% तक जीएसटी लगता है। अगर इन्हें 18% के नए स्लैब में डाला जाता है, तो 1000 स्क्वायर फीट के फ्लैट की कीमत में लगभग ₹1.5 लाख तक की कटौती संभव है। यानी घर खरीदना और भी सस्ता और सुलभ हो सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर में वर्तमान GST व्यवस्था क्या है?
अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट (45 लाख से ऊपर): 5% जीएसटी
अफोर्डेबल हाउसिंग (45 लाख तक): 1% जीएसटी
रेडी टू मूव इन फ्लैट्स: कोई जीएसटी नहीं
कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स:
सीमेंट – 28%
स्टील – 18%
पेंट – 28%
टाइल्स – 18%
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की भूमिका
2019 के बाद से डेवलपर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता, यानी कंस्ट्रक्शन में लगने वाले मैटेरियल्स पर जो जीएसटी देनी होती है, उसका बोझ सीधे ग्राहकों पर पड़ता है।
उदाहरण:
अगर किसी फ्लैट की बेस कीमत ₹25 लाख है, तो आईटीसी की अनुपलब्धता के कारण ग्राहक को ₹5 लाख तक अधिक भुगतान करना पड़ता है।
मिडिल क्लास और अफोर्डेबल हाउसिंग को राहत
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी 2.0 लागू होने पर 1.5 लाख से लेकर 7.5 लाख रुपये तक की सीधी बचत संभव है। मिडिल क्लास, फर्स्ट टाइम होम बायर्स और अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के लिए यह गेम चेंजर साबित हो सकता है।
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