
भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी और लोकप्रिय लाड़ली बहना योजना को लेकर बड़ा अपडेट आया है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि एमपी की 10 हजार से ज्यादा लाड़ली बहनों को योजना से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद साफ हो गया है कि इन महिलाओं को अगले महीने यानी सितंबर महीने में आने वाली 28वीं किस्त से 1250 रुपए का लाभ नहीं मिलेगा।
बता दें कि लाड़ली बहना योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना को शुरू हुए दो साल और कुछ महीने का समय ही हुआ है, लेकिन इन दो साल चंद महीनों में अब तक कुल 3.92 लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम लाभार्थी सूची से हटाए जा चुके हैं। यानी दिवाली की भाईदूज से मिलने वाली बढ़ी हुई राशि के 1500 रुपए के लाभ से भी ये वंचित हो गई हैं।
1390 महिलाओं की राशि रोकी, स्पष्ट नहीं कारण
योजना के तहत जून महीने तक 2,76,439 महिलाओं के खाते में राशि आती रही लेकिन जुलाई में केवल 2,75,178 महिलाओं के खाते में राशि आईं। इस तरह 1261 महिलाएं योजना के लाभ से वंचित हो गई। इन महिलाओं की शिकायत पर विभागीय अधिकारियों ने स्थानीय स्तर पर जांच पड़ताल कर महिला एवं बाल विकास संचालनालय भोपाल के आयुक्त को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया।
शासन स्तर पर इस मामले में जांच चल ही रही थी कि अगस्त महीने में 129 और महिलाओं की राशि रूक गई। इस तरह से अगस्त महीने में जून की तुलना में 1390 महिलाओं को योजना की राशि नहीं मिली।
जिन महिलाओं की राशि रोकी गई है उनकी ओर से लगातार शिकायतें जारी हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार शासन स्तर से मौखिक रूप में बताया गया कि महिलाओं ने पेंशन योजना के तहत राशि प्राप्त की है। इस कारण उनकी बहना योजना की राशि नहीं आई। यह बात और है कि अभी संचालनालय से लिखित रूप में कोई भी कारण स्पष्ट नहीं किया गया है और न ही पोर्टल में कारण दर्ज हुआ है। जबकि महिलाओं के अपात्र होने पर कारण पोर्टल पर ही स्पष्ट हो जाता है।
पोर्टल पर पात्रों की सूची में शामिल
इसके अलावा योजना की लाभार्थी महिलाओं का कहना है कि उनकी ओर से पेंशन योजना का लाभ नहीं लिया गया है। पेंशन का लाभ लिया जाता तो पोर्टल पर अपात्र घोषित कर दिया जाता, लेकिन पोर्टल पर वह पात्रों की सूची में शामिल हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ विनीता लोढ़ा बताती हैं कि जुलाई और अगस्त में कई महिलाओं की राशि नहीं आई है। इस संबंध में शासन स्तर पर पत्राचार किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कारण स्पष्ट होगा। जो महिलाएं पात्र होंगी, उन्हें हर हाल में योजना का लाभ दिया जाएगा।
लाड़ली बहना योजना से क्यों काटे जा रहे नाम
-सरकार द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अलग-अलग वजहों से लाखों बहनों को योजना से बाहर किया गया है।
इनमें बड़ा कारण पात्र महिलाओं का 60 वर्ष से अधिक आयु का होना है। इस बड़े कारण से इस महीने- 10,963 महिलाएं योजना के लाभ के लिए अपात्र घोषित की गई हैं। इन्हें अगस्त के बाद लाड़ली बहना योजना की राशि नहीं मिलेगी।
-अपात्र पाई गई महिलाओं की संख्या 690 है।
-इनमें लाभ का परित्याग करने वाली महिलाएं भी शामिल हैं। इनकी संख्या 890 है।
-इनमें से 646 लाभार्थी महिलाएं ऐसी हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
-कुछ कारणों से समग्र पोर्टल से हटाई गई महिलाओं की संख्या 426 है।
-आधार से समग्र डि-लिंक महिलाओं की संख्या 505 है।
-यानी दो ही चंद महीनों में ही 3,92,912 महिलाओं को अपात्र घोषित किया गया है।
इन महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ
यदि आप एमपीकी रहने वाली हैं, योजना से जुड़ी हैं या आवेदन करने का विचार कर रही हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपका नाम भी इस योजना से कभी भी काटा जा सकता है। लेकिन कब कटेगा नाम…
-जब आप 60 वर्ष से अधिक आयु की हो गई हों।
-अविवाहित महिलाओं ने भी यदि अपना नाम योजना से जुड़वा लिया है, या वह जुड़ने के बारे में सोच रही हैं, तो उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। ये योजना केवल विवाहित, विधवा, परित्यक्ता महिलाओं को ही दिया जा रहा है।
-ऐसी महिलाएं जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख से अधिक है।
-ऐसी महिलाएं जिनके परिवार का कोई सदस्य पूर्व सांसद/विधायक रह चुका हो।
-ऐसी महिलाएं जिनके परिवार में कोई सदस्य सरकारी सेवा या पद पर हो, उन्हें इस योजना का पात्र नहीं माना गया है।
सूची से हट जाए नाम तो क्या करें?
-नजदीकी CSC सेंटर या पंचायत कार्यालय से जानकारी लें।
-60 साल से कम उम्र होने के बावजूद नाम कटने पर आपत्ति दर्ज कराएं।
-सुनिश्चित करें कि आपका आधार और समग्र पोर्टल सही तरीके से लिंक हो।
-विभागीय हेल्पलाइन पर संपर्क कर शिकायत दर्ज कराएं।
समग्र पोर्टल से जुड़ी बड़ी समस्या
डाटा में यह भी सामने आया है कि कई महिलाएं 'आधार से समग्र डि-लिंक होने के कारण सूची से बाहर हो रही हैं। यदि आधार और समग्र ID का कनेक्शन टूट जाता है तो सिस्टम लाभार्थी की पहचान सत्यापित नहीं कर पाता। ऐसे में DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) अटक जाता है और महिला को अपात्र मान लिया जाता है।
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