October 27, 2025

उज्जैन की मेट्रो में बड़ा बदलाव: अगले महीने आएगी पांच किमी अंडरग्राउंड विस्तार की रिपोर्ट

इंदौर
इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने पहले डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है। इसे तैयार करने वाली दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) नवंबर के पहले सप्ताह में मेट्रो के अधिकारियों की समक्ष पेश करेगी। इसके बाद यह डीपीआर मंजूरी के लिए राज्य शासन को भेजी जाएगी। गौरतलब है कि पूर्व में प्रस्तावित मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत इंदौर के लवकुश चौराहे तक 47 किलोमीटर हिस्से में ओवरहेड मेट्रो तैयार करने की योजना थी।

इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट तीन माह पहले तैयार हुई थी। सीएम के सुझाव पर मेट्रो के इस प्रोजेक्ट में कुछ फेरबदल किए है। इसके बाद डीएमआरसी अब डीपीआर प्रस्तुत करेगी। जानकारों के मुताबिक सीएम के सुझाव पर उज्जैन के अंदर पांच किलोमीटर का अतिरिक्त हिस्सा प्रोजेक्ट में बढ़ाया गया है। इसमें उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज से मेट्रो को अंडर ग्राउंड होगी और यह उज्जैन रेलवे स्टेशन के नीचे होते हुए आगर रोड पर एक किलोमीटर हिस्से में ओवरहेड हो जाएगी।
 
1500 करोड़ रुपये बढ़ेगी लागत
पूर्व में प्रस्तावित इंदौर के लवकुश चौराहे से महाकाल मंदिर में 47 किलोमीटर के हिस्से के निर्माण पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च का आंकलन किया गया था। अब उज्जैन में पांच किलोमीटर का अंडर ग्राउंड का हिस्से बढ़ने पर 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करना होंगे।

अगले तीन माह में तैयार होगी इंदौर – पीथमपुर मेट्रो की डीपीआर
इंदौर से पीथमपुर के बीच करीब 40 किलोमीटर में भी मेट्रो चलाने की योजना पर राज्य सरकार की मुहर लग चुकी है। डीएमआरसी इस हिस्से में मेट्रो चलाने के लिए दो माह पहले प्रारंभिक फिजिब्लिटी सर्वे रिपोर्ट तैयार हुई थी। इंदौर-उज्जैन की डीपीआर तैयार करने वाली दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन कंपनी ही इंदौर-पीथमपुर रूट की डीपीआर अगले तीन माह में तैयार करेगी।

30 अक्टूबर को इंदौर मेट्रो के अंडर ग्राउंड हिस्से की उलझन खत्म होने की संभावना
इंदौर में गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक दिसंबर माह के अंत मेट्रो चलाने की योजना बनाई जा रही है। बंगाली चौराहे से रीगल चौराहे तक मेट्रो का हिस्सा अंडर ग्राउंड होगा या ओवरहेड, इस पर उलझन बनी हुई है। ऐसे में 30 अक्टूबर को नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित अन्य जनप्रतिनिधि, मुख्य सचिव व मेट्रो के अधिकारी इंदौर में बैठक कर इस हिस्से पर निर्णय लेंगे।

ऐसे में इस हिस्से की उलझन जल्द खत्म होने की संभावना है। गौरतलब है कि यदि इस हिस्से को अंडर ग्राउंड किया जाता है तो उस पर एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आ रहा है। इस राशि को राज्य शासन को वहन करना होगा। यदि राज्य शासन इसके लिए तैयार होता है तो ही मेट्रो का यह हिस्सा अंडर ग्राउंड होगा।