December 6, 2025

वास्तु शास्त्र के मंत्र: घर की ऊर्जा बदलने के प्राचीन नियम

वास्तु शास्त्र प्राचीन हिंदू विज्ञान है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद, सामवेद, मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण और विश्वकर्मा वास्तु शास्त्र में मिलता है। इसके अनुसार ब्रह्मांड पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश और आठ दिशाओं के ऊर्जा-समन्वय पर चलता है। घर में इन तत्वों का संतुलन जीवन में सुख, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, जबकि असंतुलन को वास्तुदोष कहा गया है।

घर में दिशाओं का महत्व
वास्तु के अनुसार हर दिशा किसी देवता और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी होती है—
पूर्व दिशा: सूर्यदेव – स्वास्थ्य, ऊर्जा, नई शुरुआत
उत्तर दिशा: कुबेर – धन, व्यवसाय, समृद्धि
दक्षिण दिशा: यम – स्थिरता, गंभीरता
पश्चिम दिशा: वरुण – अवसर, लाभ
यदि वस्तुएं, कमरे और पूजा स्थान सही दिशा में हों, तो घर में पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ती है और बाधाएं दूर होती हैं।

मुख्य द्वार वास्तु
मुख्य द्वार को उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना अत्यंत शुभ है।
यह दिशाएं धन, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश द्वार कहलाती हैं।
मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे चिह्न लगाना मंगलकारी है।

रसोई घर वास्तु
अग्नि देव दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्निकोण) में निवास करते हैं।
गैस, चूल्हा, माइक्रोवेव इसी दिशा में रखें।
पानी की व्यवस्था हमेशा उत्तर या उत्तर-पूर्व में हो।

पूजा स्थान की सही दिशा
पूजा घर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करना सबसे शुभ है। यह दिशा देवत्व, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानी गई है।

बेडरूम वास्तु
दंपत्ति का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम में हो तो प्रेम बढ़ता है। रिश्तों में स्थिरता आती है। मानसिक शांति बनी रहती है। सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें।

धन वृद्धि के लिए जल तत्व
फव्वारा, एक्वेरियम या पानी का घड़ा उत्तर या उत्तर-पूर्व में रखने से धन का प्रवाह बढ़ता है।

वास्तुदोष दूर करने के सरल उपाय
घर में प्राकृतिक प्रकाश को प्रवेश दें।
उत्तर दिशा को साफ और खुला रखें।
टूटे सामान, कचरा और अव्यवस्था तुरंत हटाएं।
तुलसी, बांस और मनी प्लांट लगाएं।
प्रतिदिन दीपक जलाएं, यह नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है।