
मुंबई
भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ लाने की तैयारी में हैं। हिंदू बिजनसलाइन की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अंबानी ने रिलायंस जियो के आईपीओ की तैयारियां शुरू कर दी है। कंपनी का आईपीओ 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक इसमें ऑफर ऑफ सेल के साथ-साथ ताजा शेयर भी जारी किए जाएंगे। यह आईपीओ साल की दूसरी छमाही में आ सकता है। हुंडई मोटर इंडिया पिछले साल 27,870.16 करोड़ रुपये का आईपीओ लाई थी जो देश में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है।
सूत्रों के मुताबिक रिलायंस जियो के आईपीओ के लिए प्री-आईपीओ प्लेसमेंट पर शुरुआती बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी है। इनवेस्टमेंट बैंकर्स का कहना है कि यह इश्यू बड़ा हो सकता है और इसमें सब्सक्रिप्शन की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। प्री-प्लेसमेंट की राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि इसमें फ्रेश इश्यू का साइज क्या होगा। ओएफएस और फ्रेश इश्यू का हिस्सा कितना होगा, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है। इस बारे में रिलायंस को भेजे ईमेल का कोई जबाव नहीं आया।
किस-किस की है हिस्सेदारी
सूत्रों का कहना है कि रिलायंस जियो के आईपीओ में ओएफएस कंपोनेंट अहम होगा क्योंकि इससे कई मौजूदा निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौका मिलेगा। कंपनी में विदेशी निवेशकों की 33 फीसदी हिस्सेदारी है। रिलायंस ने साल 2020 में अबू धाबी इनवेस्टमेंट फंड, केकेआर, मुबादला और सिल्वर लेक जैसे विदेशी फंड्स से 18 अरब डॉलर जुटाए थे। कई ब्रोकरेज का कहना है कि रिलायंस जियो की वैल्यूएशन 100 अरब डॉलर हो सकती है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कंपनी की नजर 120 अरब डॉलर की वैल्यूएशन पर है।
अंबानी एआई सेक्टर में भी बड़ा दांव खेल रहे हैं। एआई लेंग्वेज मॉडल विकसित करने के लिए जियो प्लेटफॉर्म्स ने हाल ही में एनवीडिया से हाथ मिलाया है। टेक के साथ-साथ एआई पुश से रिलायंस जियो दूसरी स्टार्टअप कंपनियों से आगे निकल सकती है। कंपनी को सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए भी रेगुलेटरी मंजूरी मिल गई है। रिलायंस ने अपने टेलीकॉम, इंटरनेट और डिजिटल बिजनस को मजबूत करने के लिए पिछले पांच साल में अधिग्रहण पर 3 अरब डॉलर खर्च किए हैं।
रिलायंस जियो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर है। अक्टूबर के अंत तक कंपनी के 46 करोड़ सब्सक्राइबर थे। पिछले साल जून में कंपनी ने टैरिफ बढ़ाया था जिसके कारण उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या में गिरावट आई है। लेकिन इसके बावजूद वह नंबर 1 बनी हुई है। टैरिफ बढ़ाने से सितंबर तिमाही में कंपनी के मुनाफे में काफी तेजी आई है। इसे लिस्टिंग से पहले 5जी सर्विसेज को मॉनीटाइज करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
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