
हैदराबाद
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला भारत के निर्यातकों, छोटे-मझोले उद्योगों (एमएसएमई), निर्माताओं को भारी नुकसान पहुंचाएगा। इससे आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) बाधित होगी, विदेशी निवेश (एफडीआई) रुकेगा और नौकरियों पर भी असर पड़ेगा।
एक दिन पहले ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर जुर्माने के रूप में 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया। ओवैसी ने कहा कि ट्रंप ने सिर्फ इसलिए अब 25 फीसदी टैरिफ और जोड़ दिया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदा, जिससे कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया है।
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने ‘एक्स’पर लिखा, यह कूटनीति नहीं, बदमाशी है। ट्रंप जैसा जोकर यह नहीं समझता कि वैश्विक व्यापार कैसे काम करता है। ओवैसी ने कहा कि यह नया टैरिफ भारत के निर्यातकों, एमएसएमई और निर्माताओं को नुकसान पहुंचाएगा। इससे सप्लाई चेन टूटेगी, विदेशी निवेश घटेगा और नौकरियों पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने पूछा, लेकिन नरेंद्र मोदी को क्या फर्क पड़ता है? वे भाजपा के 'शक्ति प्रदर्शन' करने वाले नेता अब कहां हैं?
ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, पिछली बार मैंने पूछा था कि जब ट्रंप ने 56 फीसदी टैरिफ लगाएगा, तब क्या मोदी जी अपनी 56 इंच की छाती दिखाएंगे? ट्रंप अब 50 फीसदी पर रुक गया है। शायद वह हमारे ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’ से डर गया है? उन्होंने आगे कहा, क्या हमारी रणनीतिक स्वतंत्रता को बेचकर अपने अरबपति दोस्तों की तिजोरी भरना सही था?
ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसका नाम है- 'रूसी सरकार से अमेरिका को होने वाले खतरों से निपटना'। इस आदेश के तहत भारत से आने वाले सामान पर पहले से लगे 25 फीसदी टैरिफ के अलावा अब और 25 फीसदी टैरिफ जोड़ा गया है, जो 7 अगस्त से लागू हो गया है। इस फैसले के बाद कुछ गिने-चुने उत्पादों को छोड़कर भारत से अमेरिका को भेजे जाने वाले अधिकांश सामानों पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस फैसले से खासकर कपड़ा, समुद्री उत्पाद और चमड़ा जैसे क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा।
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