
वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार को घर में धन, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। मुख्य द्वार के पास, विशेष रूप से बाहर या ठीक सामने, जूता-चप्पल रखने से यह ऊर्जा बाधित होती है। मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी का अपमान होता है, जिसके परिणामस्वरूप परिवार में धन हानि, आर्थिक परेशानियां, और गरीबी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वास्तु के अनुसार, जूतों को मुख्य द्वार से दूर, एक ढके हुए जूता रैक में व्यवस्थित रखें ताकि घर में शुभता बनी रहे।
पूजा कक्ष के आसपास
पूजा कक्ष घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के पास या नीचे जूता-चप्पल रखना अशुभ माना जाता है। इससे पवित्रता भंग होती है और परिवार में आर्थिक तंगी और मानसिक अशांति बढ़ सकती है। जूतों को हमेशा अलग स्थान पर रखें।
रसोई में जूते-चप्पल
रसोई घर की समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है, जहां माता अन्नपूर्णा का वास माना जाता है। वास्तु शास्त्र में रसोई के पास, उसके अंदर, या आसपास जूता-चप्पल रखना अशुभ माना जाता है। जूते गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा लाते हैं, जो रसोई की शुद्धता को प्रभावित करते हैं। इससे परिवार में धन की कमी, खाने की बर्बादी, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जूता-चप्पल को रसोई से पूरी तरह दूर रखें और साफ-सुथरे स्थान पर व्यवस्थित करें।
बेडरूम में जूता-चप्पल
वास्तु शास्त्र में बेडरूम को शांति और विश्राम का स्थान माना जाता है। बेडरूम में या बिस्तर के नीचे जूता-चप्पल रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे दांपत्य जीवन में तनाव और आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं। जूतों को बाहर रैक में रखें।
वास्तु उपायों से सुख-समृद्धि
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जूता-चप्पल को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में एक ढके हुए जूता रैक में रखना शुभ होता है। गंदे जूतों को नियमित रूप से साफ करें और घर के अंदर लाने से बचें। मुख्य द्वार, पूजा कक्ष, रसोई, और बेडरूम से जूते-चप्पल को दूर रखें। इन वास्तु नियमों का पालन करके नकारात्मक ऊर्जा को हटाएं और घर में सुख, समृद्धि और शांति लाएं।
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