
नई दिल्ली
महाकुंभ को लेकर संसद में बवाल के बाद अब समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने एक और बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि 15 हजार लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई है कि उनके परिवार के लोग नहीं मिल रहे हैं। महाकुंभ में आए हजारों लोगें के परिजन लापता हो गए हैं। वहीं सरकार कोई भी जानकारी देने से इनकार कर रही है। उन्होंने कहा कि 1954 के प्रयाग कुंभ में भगदड़ के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में बताया कि कितने लोग घायल हुए हैं और कितने लोग मारे गए हैं।
यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ का पूरा अमला केवल वीआईपी लोगों को सुविधाएं देने में व्यस्थ था। उन्हें आम आदमी की कोई फिक्र ही नहीं थी। उन्होंने कहा, हमारे मुख्यमंत्री रोज ही पहुंचते हैं। अधिकारी व्यवस्था में व्यस्त है कि वीआईपी लेन साफ-सुथरी रहनी चाहिए। वहीं आम आदमी चाहे डूब जाए या मर जाए। 15 हजार लोग कह रहे हैं कि उनके परिवार के सदस्य लापता हैं। सरकार कोई जानकारी ही नहीं दे रही है। बता दें कि सोमवार को बजट सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा किया था। विपक्ष का कहना था कि सदन में महाकुंभ में मची भगदड़ पर चर्चा करवाई जाए। एसपी चीफ अखिलेश यादव ने कहा कि मृतकों की सही संख्या ना बताना बहुत निंदनीय है। मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव के लिए अयोध्या में एक रैली को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि सरकार यह आंकड़ो तो रोज बताती है कि कितने लोगों ने डुबकी लगाई है लेकिन मरने वालों का आंकड़ा आज तक साफ नहीं कर पाई है। अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 तारीख को चुनाव होने हैं।
बीजेडी नेता ने भी उठाए सवाल
बीजू जनता दल (बीजद) की सदस्य सुलता देव ने महाकुंभ में एआई सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बावजूद मृतकों और लापता श्रद्धालुओं के आंकड़ों को पता करने में सरकार की असमर्थता पर सोमवार को सवाल उठाया। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान देव ने कहा कि इस घटना पर सदन में अल्पकालिक चर्चा होनी चाहिए।
देव ने सवाल किया, "राष्ट्रपति ने कुंभ मेले में मृतकों के लिए दुख व्यक्त किया। कुंभ में जो कुछ भी हुआ और जो स्थिति है, उसकी आलोचना होनी चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि हजारों लोग बेघर हो गए हैं और खो गए हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सका है। अगर हम एआई से भीड़ की संख्या देख सकते हैं तो हम तकनीक की मदद से यह क्यों नहीं देख पा रहे हैं कि कितने लोग गायब हैं। इसकी आलोचना क्यों नहीं की जा रही है?" उन्होंने कहा कि जब 27 जुलाई को दिल्ली में जलजमाव की घटना में छात्रों की मौत हो गई तब इस पर अल्पकालिक चर्चा हुई थी तो महाकुंभ की घटना पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती है।
More Stories
आज ऑपरेशन सिंदूर पर PM मोदी भी बोलेंगे? 16 घंटे की मैराथन चर्चा की शुरुआत
अमरनाथ यात्रा को लेकर भक्तों का उत्साह, सीधे कश्मीर पहुंचकर पंजीकरण कराने वालों की संख्या में इजाफा
ऑपरेशन सिंदूर अब स्कूल किताबों में! NCERT कक्षा 3 से 12 तक जोड़ेगा 10 पेज का नया पाठ