
नई दिल्ली
श्रीनगर हवाई अड्डे पर 26 जुलाई को स्पाइसजेट कर्मचारियों पर हमला करने के आरोपी एक वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारी को एयरलाइन ने पांच साल के लिए अपनी 'नो-फ्लाई' सूची में डाल दिया है। इस घटना से जुड़े दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया, "एयरलाइन कर्मचारियों पर हमला करने वाले यात्री को अशांत घोषित किया गया है और उसे स्पाइसजेट की नो-फ्लाई सूची में शामिल करने का फैसला लिया गया है। वह अगले पांच साल तक स्पाइसजेट की किसी भी घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ान में यात्रा नहीं कर पाएंगे।"
दूसरे अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय नागरिक उड्डयन नियमों (सीएआर) के तहत गठित समिति ने लिया, जिसने यात्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के इस अधिकारी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। स्पाइसजेट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में इस घटना को "हत्यारा हमला" करार दिया था।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना 26 जुलाई को श्रीनगर से दिल्ली जाने वाली स्पाइसजेट की उड़ान एसजी 386 के बोर्डिंग गेट पर हुई। विवाद तब शुरू हुआ जब बोर्डिंग के दौरान अतिरिक्त सामान शुल्क के भुगतान को लेकर असहमति हुई। एयरलाइन के अनुसार, अधिकारी के पास दो केबिन बैग थे, जिनका कुल वजन 16 किलोग्राम था, जो कि अनुमति सीमा 7 किलोग्राम से दोगुना था।
एयरलाइन ने बताया कि यात्री ने नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया और बिना बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी किए जबरन एयरोब्रिज में प्रवेश कर गया, जो कि विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन था। इसके बाद, एक सीआईएसएफ अधिकारी ने उसे वापस गेट पर लाया। एयरलाइन के बयान के अनुसार, "गेट पर, यात्री तेजी से आक्रामक हो गया और उसने स्पाइसजेट के चार ग्राउंड स्टाफ सदस्यों पर शारीरिक हमला किया।" इस हमले में कर्मचारियों को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर और जबड़े की चोटें आईं। 3 अगस्त को इस घटना का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें अधिकारी को कतार स्टैंड से कर्मचारियों पर हमला करते देखा गया।
नागरिक उड्डयन नियम
विमानन नियमों के अनुसार, अशांत व्यवहार करने वाले यात्रियों पर तीन महीने, छह महीने या गंभीर मामलों में न्यूनतम दो साल या उससे अधिक समय के लिए नो-फ्लाई प्रतिबंध लगाया जा सकता है। नियमों के तहत, प्रभावित यात्री 60 दिनों के भीतर एक अपीलीय समिति के समक्ष अपील कर सकते हैं, जिसमें एक सेवानिवृत्त जिला या सत्र न्यायाधीश, दूसरी एयरलाइन का प्रतिनिधि और एक यात्री या उपभोक्ता वकालत समूह का सदस्य शामिल होता है। समिति को 30 दिनों के भीतर मामले का फैसला करना होता है, और उसका निर्णय एयरलाइन पर बाध्यकारी होता है।
नो-फ्लाई सूची के आंकड़े
5 अगस्त को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत ने 379 यात्रियों को नो-फ्लाई सूची में डाला है, जिसमें इस साल 30 जुलाई तक 48 लोग शामिल किए गए। 2020 में केवल 10 लोग इस सूची में थे, जबकि 2021 में 66, 2022 में 63, और 2023 में 110 लोग इस सूची में शामिल किए गए, जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। 2024 में यह संख्या घटकर 82 रही। स्पाइसजेट की ओर से इस मामले पर अभी कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
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