मुंबई
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, पार्टी में ही इसको लेकर मतभेद की स्थिति है। महाराष्ट्र की हार इसलिए भी करारी थी क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने शानदार प्रदर्शन किया था। चुनाव से पहले कांग्रेस के द्वारा कराए गए गए आंतरिक सर्वे में ही हार के संकेत मिल गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में हुए एक सर्वे में 103 सीटों को कवर किया गया था। उसमें एमवीए केवल 44 सीटों पर आगे चल रही थी। वहीं, लोकसभा चुनावों में यह आंकड़ा 54 था।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ‘लड़की बहिन योजना’ ने चुनाव परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस के एक आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार, 88% लोगों को इस योजना के बारे में जानकारी थी। 17% ने स्वीकार किया कि इस योजना के कारण उनके मतदान की प्राथमिकता बदल गई।
एमवीए की रणनीति में इस योजना का प्रभाव समझने में देरी हुई। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि एक बैठक में रणनीतिकारों ने एमवीए को महिलाओं को 3000 रुपये की मासिक सहायता देने का सुझाव दिया था। लेकिन महायुति ने पहले ही योजना के तहत 2100 मासिक सहायता की घोषणा कर दी थी, जिससे उन्हें महिलाओं के बीच व्यापक समर्थन मिला।
हार के बाद ईवीएम पर सवाल
हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का निर्णय लिया। हालांकि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह रणनीति महाराष्ट्र और केंद्रीय नेतृत्व का चेहरा बचाने की एक कोशिश है।
आपक बता दे कि कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) शुक्रवार को विधानसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा करेगी। संभावना है कि समिति ईवीएम के खिलाफ अभियान तेज करने और मतपत्र (पेपर बैलट) की वापसी की मांग करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है।

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