
नई दिल्ली
बिहार में वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन शुरू होने के बाद से लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव समेत तमाम विपक्षी दल चुनाव आयोग पर हमलावर हैं। वोट चोरी और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी जैसे आरोपों का सामना कर रहे चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया।
इस साल 18 फरवरी को चुनाव आयुक्त से मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभालने के बाद सीईसी ज्ञानेश कुमार की यह पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस है। जिसमें उन्होंने आयोग के ऊपर लगातार किए जा रहे हमलों का करारा जवाब दिया और बताया कि बिहार मे क्यों एसआईआर हो रहा है।
विपक्ष द्वारा लगातार चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा , मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि चुनाव आयोग के लिए न कोई पक्ष है, न कोई विपक्ष आयोग के लिए सब समकक्ष है। चाहे कोई भी दल हो चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।
बिहार में क्यों हो रहा SIR?
बिहार में मतदाता पुनरीक्षण को लेकर लगातार उठाए जा रहे सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, पिछले दो दशकों से लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में सुधार की मांग करते रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण की शुरूआत बिहार से की है। एसआई की प्रक्रिया में सभी मतदाता, बूथ लेवल ऑफिसर और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख बीएलओ ने मिलकर एक प्रारूप सूची तैयार की है। इस कॉपी सभी को दी गई है। इस सूची को सभी राजनीतिक दलों ने हस्ताक्षर के साथ सत्यापित किया।
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों से किया ये आग्रह
चुनाव आयोग ने कहा इस प्रारूप सूची से त्रुटियां हटाने लिए सभी मतदाता और राजनीतिक दल अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। स्वयं मतदाताओं ने 28,370 ऐसे आपत्ति दर्ज कराई हैं। आयोग ने बताया कि त्रुटियों को हटाने के लिए बिहार के एसआईआर में एक अगस्त से एक सितंबर का समय निर्धारित है। जिसमें अभी भी 15 दिन का समय बाकि है। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से, बूथ लेवल एजेंट को, सभी राजनीतिक पार्टियों से आग्रह किया मतदाता सूची में जो भी त्रुटियां हो उसे चुनाव आयोग तक पहुंचाएं।
विपक्ष कर रहा भ्रम फैलाने का काम: चुनाव आयोग
विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग पर बिहार में वोट काटने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने पलटवार करते हुए कहा, जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी बूथ लेवल ऑफिसर और राजनीतिक दल एक पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। मतदाता सूची को वो सभी सत्यापित कर रहे हैं, हस्ताक्षर कर रहे हैं। मुख्य चुनाव आयोग ने कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्षों और उनके द्वारा नामित बीएलओ के दस्तावेज, उनकी आवास उनके स्वयं के नेताओं तक पहुंच नहीं पा रही है या फिर जमीनी सच्चाई को नजरअंदाज करके भ्रम फैलाने का काम किया जा रहा है।
राजनीतिक दलों से साझा की जाती है मतदाता सूची: चुनाव आयोग
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, एक बार जब SDM द्वारा अंतिम सूची प्रकाशित हो जाती है, तो मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती है और अंतिम सूची भी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है, यह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है। मतदान केंद्रवार सूची दी जाती है। प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार है और यही सूची पोलिंग एजेंट के पास भी होती है।
रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद भी, एक प्रावधान है कि आप 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और चुनाव को चुनौती दे सकते हैं। जब 45 दिन पूरे हो जाते हैं चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, बिहार हो, और जब किसी भी पार्टी को 45 दिनों में कोई गलती नहीं मिली, तो आज इतने दिनों के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे उनका मकसद क्या है, यह पूरे देश के लोग समझते हैं।"
बिहार में SIR पर घमासान
बिहार की मतदाता सूची संसोधन मामले पर घमासान छिड़ा हुआ है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी नेताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग द्वारा यह काम बिहार में मतदाताओं को वोट देने से रोकने के लिए किया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि 65 लाख लोगों के नाम काटे गए हैं, जिसमें कई जिंदा लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है। राहुल व तेजस्वी ने 17 अगस्त से बिहार में' वोट अधिकार यात्रा' शुरू की है। यह यात्रा सासाराम से हुई है और इसका समापन एक सितंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ‘वोटर अधिकार रैली' के साथ होगा।
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