
भोपाल
मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली को समावेशी और रोगी-केंद्रित बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें हीमोफिलिया, सिकल सेल और अन्य गैर-संचारी रोगों के उपचार के लिए समान प्राथमिकता मिल रही है। एनएचएम द्वारा जिला और प्राथमिक स्तर पर रक्तस्राव विकारों के लिए विशेष सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. सलोनी सिडाना ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम एक हीमोफिलिया रजिस्ट्री तैयार कर रहे हैं। इसे अधिक गतिशील और पोर्टेबल बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि रोगियों को किसी भी जिले में निर्बाध उपचार मिल सके। उन्होंने कहा कि क्लॉटिंग फैक्टर थेरेपी उपचार की आधारशिला है, लेकिन एमिसिज़ुमैब जैसी नॉन-फैक्टर थेरेपी अब संभावनाओं के नए द्वार खोल रही हैं, जिन्हें हमें राज्य की सेवा प्रणाली में सम्मिलित करने के तरीके तलाशने होंगे। इसके लिए रोगियों और स्वास्थ्यकर्मियों दोनों में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
एनएचएम भोपाल, हीमोफिलिया सोसाइटी, मध्यप्रदेश चैप्टर (भोपाल), गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश में हीमोफिलिया से पीड़ित मरीजों के लिए समान, सुलभ और प्रभावी उपचार ढांचे की दिशा में ठोस नीति तैयार करने के उद्देश्य से एक दिवसीय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में हीमोफिलिया के उपचार और प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण सिफारिशें की गईं। प्रमुख राष्ट्रीय हेमेटोलॉजिस्ट, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, नीति निर्माता, रोगी प्रतिनिधि और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल हुए।
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