
टीकमगढ़
बुंदेलखंड के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। हिमाचल प्रदेश के हरमन शर्मा ने एक ऐसा सेब का पौधा विकसित किया है जो 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी फल दे सकता है। इस खोज से बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत बदल गई है। उन्हें इस उपलब्धि के लिए पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया है। हरमन 99 सेब की किस्म बुंदेलखंड के कई जिलों में खूब पैदा हो रही है। किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
50 डिग्री सेल्सियस में देता है फल
हिमाचल प्रदेश के हरमन शर्मा ने कई सालों की मेहनत के बाद एक खास किस्म के सेब के पौधे को विकसित किया। यह पौधा 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी फल दे सकता है। इस खोज के लिए भारत सरकार ने उन्हें पहले राष्ट्रपति सम्मान दिया। फिर 2024-25 में पद्मश्री से सम्मानित किया। बुंदेलखंड में हरमन 99 सेब की किस्म अब खूब पैदा हो रही है।
इन जिलों में हो रहा उत्पादन
बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में हरमन 99 सेब का उत्पादन हो रहा है। टीकमगढ़ के किसान सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि उन्होंने 2021 में ऑनलाइन इस पौधे को मंगाया था। पिछले 3 सालों से उनके पेड़ लगातार फल दे रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग की मदद से सेब का उत्पादन शुरू किया था। हर साल उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा है।
22 पेड़ से की शुरुआत
सुरेंद्र राजपूत ने 22 पेड़ ऑनलाइन मंगाए थे। आज वे सभी 22 पेड़ जिंदा हैं और उनमें फल लग रहे हैं। बुंदेलखंड में तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। लेकिन इस पौधे पर इसका कोई असर नहीं होता। इसका उत्पादन अच्छा होता है। उन्होंने बताया कि एक पेड़ में करीब 25 से 30 किलो सेब का उत्पादन होता है। यह फल मई के आखिर और जून के पहले हफ्ते में आता है। उस समय कश्मीर का सेब आना बंद हो जाता है। इसलिए बुंदेलखंड में सेब का अच्छा दाम मिलता है। इस मौसम में सेब की कीमत 250-300 रुपए किलो है।
जनवरी में सूख जाता है पेड़
सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि जनवरी में पेड़ सूख जाता है। इसके बाद उसकी कटाई की जाती है। जितनी अच्छी कटाई होगी, उतना ही फल पेड़ में लगेगा। इसके बाद फूलों की क्रॉसिंग कराई जाती है। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी करना पड़ता है। वे पिछले 3 सालों से लगातार सेब का उत्पादन कर रहे हैं और बाजार में बेच रहे हैं।
थोक में 200 रुपए किलो बिकता
किसान सुरेंद्र राजपूत बताते हैं कि जब कश्मीर का सेब बाजार में आना बंद हो जाता है, तो बुंदेलखंड का सेब सबसे ज्यादा दिखता है। गर्मियों में होने वाले सेब का स्वाद मीठा होता है और रंग भी अच्छा होता है। इसलिए इसका थोक रेट ₹200 तक बिक जाता है। बुंदेलखंड में उत्पादन होने से बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है। यह सेब ताजा होता है। कश्मीर से आने में समय लगता है। गर्मियों में यह सेब तुरंत बाजार में पहुंच जाता है। इसलिए इसका मुनाफा भी अच्छा होता है।
इन बातों का रखना होगा ध्यान
सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि बुंदेलखंड में सेब का उत्पादन अच्छी मात्रा में हो रहा है। अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है, तो उसे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। पौधा लगाते समय ध्यान रखना जरूरी है कि उसे कम मात्रा में पानी दें। कीटनाशक दवा का छिड़काव करें, ताकि दीमक न लगे। 2 साल बाद फल देने लगता है। जब पेड़ बड़ा हो जाए और जनवरी में सूख जाए, तो उसकी डालियों की कटाई करें। अगर मधुमक्खी नहीं है, तो फूलों की क्रॉसिंग भी एक दूसरे फूल से करनी पड़ती है। इससे फल का उत्पादन अच्छा होता है।
हिमाचल के हरमन शर्मा ने किया है रिसर्च
हिमाचल के बिलासपुर जिले के रहने वाले हरमन शर्मा ने कई सालों तक रिसर्च के बाद एक ऐसा पौधा बनाया जो 60 डिग्री के तापमान पर भी पैदा होता है और फल देता है। जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यह सेब सफल हुआ, तो भारत सरकार ने उन्हें पहले राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया। इस पौधे का नाम भी उन्हीं के नाम पर है, हरमन 99। इसके बाद वर्ष 2024-25 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा रिसर्च किए गए इस पौधे ने अब बुंदेलखंड के किसानों की तस्वीर और तकदीर बदल दी है।
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