नई दिल्ली
भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत के बाद से 2023-24 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि हासिल की है। खास बात यह है कि ये वृद्धि रिकॉर्ड एक लाख 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
रक्षा उत्पादन का मूल्य 2014-15 में 46 हजार 429 करोड़ से 174 प्रतिशत बढ़ गया
जी हां, इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा उत्पादन का मूल्य 2014-15 में 46 हजार 429 करोड़ से 174 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं रक्षा निर्यात की बात करें तो 2023-24 में यह रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो पिछले दशक में 30 गुना बढ़ा है।
आईडेक्स और सामर्थ्य से स्वदेशी तकनीकी प्रगति को मिल रहा बढ़ावा
यही नहीं, आईडेक्स और सामर्थ्य जैसी पहलों के माध्यम से स्वदेशी तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिल रहा है जो AI साइबर युद्ध और स्वदेशी हथियार प्रणालियों में महत्वपूर्ण विकास कर रही हैं।
2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन का रखा लक्ष्य
भारत ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपये निर्यात का लक्ष्य रखा। इस संबंध में मंत्रालय ने कहा कि कभी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहने वाला देश अब स्वदेशी विनिर्माण में एक उभरती हुई ताकत के रूप में खड़ा है, जो घरेलू क्षमताओं के माध्यम से अपनी सैन्य ताकत को आकार दे रहा है।
रक्षा निर्यात में भी 30 गुना वृद्धि
रक्षा निर्यात भी 2013-14 में 686 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक में 30 गुना वृद्धि दर्शाता है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए हैं।
रक्षा उत्पादन और निर्यात में भारत की उल्लेखनीय प्रगति एक आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी सैन्य विनिर्माण केंद्र के रूप में इसके परिवर्तन को रेखांकित करती है। रणनीतिक नीतिगत हस्तक्षेप, घरेलू भागीदारी में वृद्धि और स्वदेशी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के संयोजन ने देश की रक्षा क्षमताओं को काफी मजबूत किया है।
उत्पादन में उछाल, निर्यात में तेजी से वृद्धि और मेक इन इंडिया जैसी पहलों की सफलता रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 2029 के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ, भारत अपने वैश्विक पदचिह्न का और विस्तार करने के लिए तैयार है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ाते हुए अंतर्राष्ट्रीय रक्षा बाजार में एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके।

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