
सूरजपुर
छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर चर्चा में हैं. वीडियो में मंत्री अपने निवास कार्यालय के दरवाज़े पर लगे 'Push' और 'Pull' जैसे अंग्रेजी शब्दों को देखकर नाराज होती नजर आ रही हैं. उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों और स्टाफ को फटकारते हुए कहा, "ये अंग्रेजों का दफ्तर है क्या? इंग्लैंड के लोग आते हैं क्या यहां?" उनका गुस्सा यहीं नहीं रुका, उन्होंने तुरंत आदेश दिया कि इन अंग्रेजी साइन बोर्ड को हिंदी में बदला जाए.
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का कहना था कि उनके कार्यालय में गांव और छोटे कस्बों से महिलाएं, बुज़ुर्ग और बच्चे आते हैं, जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती. उन्होंने कहा, "गांव की अम्मा अंग्रेजी जानेगी क्या? हिंदी हमारी मातृभाषा है, हमें उसी में संवाद करना चाहिए." उन्होंने अधिकारियों को यह भी समझाया कि हिंदी एक साफ, सुंदर और अपनापन देने वाली भाषा है, और सरकारी कार्यालयों में हिंदी का इस्तेमाल प्राथमिकता से होना चाहिए.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. कुछ लोग मंत्री के हिंदी प्रेम की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे अनावश्यक विवाद बता रहे हैं. लेकिन यह बहस जरूर छिड़ गई है कि क्या सरकारी दफ्तरों में पूरी तरह हिंदी का प्रयोग किया जाना चाहिए, या फिर अंग्रेज़ी जैसे शब्दों की भी जगह होनी चाहिए.
सरकारी दफ्तरों में भाषा का सवाल
भारत में कई सरकारी विभागों में आज भी ‘Push’, ‘Pull’, ‘Office’, ‘Entry’ जैसे शब्द आम हैं. हालांकि संविधान के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा है और सरकारी कामकाज में इसका प्राथमिकता से उपयोग होना चाहिए. लक्ष्मी राजवाड़े की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है कि सरकारी कार्यालयों को आम जनता की भाषा में सजाया और संचालित किया जाए.
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