
हिन्दू धर्म में रवि प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. रवि प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव को भी समर्पित होता है, जिससे यह व्रत और भी विशेष फलदायी हो जाता है. विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और शीघ्र विवाह के योग बनाने के लिए इस दिन रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक विवाह के योग बनाने में सहायक होता है, लेकिन किसी भी महत्वपूर्ण कार्य से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से अवश्य करवाएं. वे ग्रहों की स्थिति के अनुसार अधिक सटीक उपाय बता सकते हैं.
रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून दिन रविवार को सुबह 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 9 जून दिन सोमवार को सुबह 09 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष व्रत की पूजा के लिए 8 जून दिन रविवार को शाम 07 बजकर 18 मिनट से रात 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. रुद्राभिषेक इस प्रदोष काल में या दिन में शिव वास देखकर किया जा सकता है.
रुद्राभिषेक से कैसे बनते हैं विवाह के योग?
विवाह का मुख्य कारक ग्रह गुरु और शुक्र हैं. रुद्राभिषेक से बृहस्पति और शुक्र मजबूत होते हैं, जिससे विवाह के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. यदि कुंडली में मंगल दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा है, तो रुद्राभिषेक (विशेषकर शिवलिंग पर जलधारा से) मंगल के नकारात्मक प्रभावों को शांत करता है. राहु-केतु के कारण उत्पन्न होने वाली विवाह बाधाओं को भी रुद्राभिषेक कम करता है. रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की शीघ्र विवाह की मनोकामना पूर्ण करते हैं. यह घर और व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जो विवाह के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है.
रवि प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक की विधि
रुद्राभिषेक घर पर या मंदिर में, किसी योग्य पंडित की सहायता से किया जा सकता है. स्वयं करने के लिए यह विधि अपना सकते हैं.
सामग्री:- भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग, शुद्ध जल (गंगाजल मिला हुआ), गाय का दूध, दही, घी, शहद, चीनी (पंचामृत), बेलपत्र (अखंडित 3 या 5 पत्तों वाले), धतूरा, भांग, आक के फूल, कनेर के फूल, चंदन, रोली, अक्षत (साबुत चावल), इत्र, जनेऊ, वस्त्र, धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, मिठाई, नैवेद्य दक्षिणा
रवि प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए व्रत और रुद्राभिषेक का संकल्प लें.
मंदिर या घर के पूजा स्थान को साफ करें. शिवलिंग या शिव प्रतिमा को स्थापित करें.
किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें. ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जाप करें.
सबसे पहले शिवलिंग का शुद्ध जल से अभिषेक करें. इसके बाद एक-एक करके पंचामृत की सभी सामग्री (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) से अभिषेक करें.
प्रत्येक सामग्री चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहें. पंचामृत के बाद पुनः शुद्ध जल से अभिषेक करें ताकि शिवलिंग स्वच्छ हो जाए.
शिवलिंग को चंदन, रोली, अक्षत लगाएं. बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल, कनेर के फूल अर्पित करें और शिव जी को वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें.
धूप और घी का दीपक जलाएं और रुद्राभिषेक के दौरान और बाद में शिव जी के मंत्रों का जाप करें.
महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।”
रुद्र मंत्र: “ॐ नमो भगवते रुद्राय।”
शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय।” (कम से कम 108 बार जाप करें)
शिव चालीसा और आरती: शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें.
अपनी शीघ्र विवाह की मनोकामना के लिए सच्चे हृदय से भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करें. आप पार्वती जी को लाल चुनरी और श्रृंगार सामग्री भी अर्पित कर सकते हैं.
पूजा समाप्त होने पर प्रसाद भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें.
रुद्राभिषेक का महत्व
रुद्राभिषेक हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली अनुष्ठान माना जाता है. यह माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के ज्ञात और अज्ञात पापों का नाश होता है. यह कर्मों के बोझ को हल्का करता है और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है. कुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोषों (जैसे मंगल दोष, पितृ दोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव आदि) को शांत करने के लिए रुद्राभिषेक को बहुत प्रभावी माना जाता है. रुद्राभिषेक को इच्छा पूर्ति का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है. संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए यह विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने और शीघ्र विवाह के योग बनाने में सहायक होता है.
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