August 1, 2025

साध्वी प्रज्ञा का दर्दनाक खुलासा: 24 दिन भूख, रात-रात भर पिटाई और गालियों की यातना

भोपाल
 मालेगांव ब्लास्ट केस में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं। एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को बरी कर दिया है। साथ ही सात अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया है। मालेगांव केस में साध्वी प्रज्ञा जेल में भी रही हैं। इस दौरान उन्हें थर्ड डिग्री यातनाएं दी गई थी। 2019 में एक चुनावी सभा के दौरान उन्होंने इसका जिक्र किया था कि कैसे दिन रात उनकी पिटाई होती थी।

दालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा. एनआईए अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को पीड़ितों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया.

इस ब्लास्ट केस में पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधांकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य) और समीर कुलकर्णी समेत 7 आरोपी थे. एनआईए की विशेष अदालत ने कहा, "आरोपियों के सभी जमानत बांड रद किए जाते हैं और जमानतदारों को मुक्त किया जाता है."

अदालत ने फैसला सुनाने से पहले अभियोजन पक्ष के 323 गवाहों और बचाव पक्ष के 8 गवाहों से पूछताछ की थी. इन सातों लोगों को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है.

रो पड़ती थीं साध्वी

साध्वी प्रज्ञा टॉर्चर की कहानी को याद कर आज भी सिहर जाती हैं। वह इस टॉर्चर के लिए पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे को जिम्मेदार ठहराती हैं। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि दिन और रात में मेरी पिटाई होती थी। मुझे सोने नहीं दिया जाता था। बेल्ट में मुठ लगी होती थी और उसी से हमारी पिटाई होती थी। साध्वी उन पलों को याद करते हुए फफक पड़ती थीं।

गंदी-गंदी गालियां दी जाती थी

इसके साथ ही साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि पिटाई के दौरान उन्हें गंदी-गंदी गालियां दी जाती थी। यही नहीं कि उन्हें कहा था कि पिटने वाले लोग बदल जाते थे लेकिन मैं अकेले रह जाती थी। वे लोग मुझसे झूठे आरोप कबूल करवाना चाहते थे। वे लोग ऐसी गालियां देते थे, जिसे कोई स्त्री सुन नहीं सकती।

शरीर में आ गए थे सूजर

यही नहीं, साध्वी प्रज्ञा के अनुसार उनकी इतनी पिटाई हुई थी कि पूरे शरीर में सूजन आ गया था। साथ ही कई हिस्सों में आज भी दर्द है, जिसका इलाज चल रहा है। साध्वी प्रज्ञा बीच-बीच में अपने स्वास्थ्य को लेकर अपडेट करवाते रहती हैं। कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी तस्वीर शेयर की थी, जिसमें चेहरे में सूजन दिख रहा था।

24 दिन तकनहीं दिया खाया खाना

साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि 24 दिन तक उन्हें खाना नहीं दिया गया था। सिर्फ पानी दिया गया था। बेल्ट से पिटाई के बाद मेरा पूरा नर्वस सिस्टम ढीला पड़ जाता था। उन्होंने मंच से कहा था कि कोई और बहन इस पीड़ा का सामना नहीं करे। साध्वी प्रज्ञा की पिटाई उल्टा लटकाकर पिटाई होती थी। मेरे हाथ फट जाते थे। गर्म पानी में नमक डालकर उसमें हमारे हाथों को डूबो देते थे। इसके बाद फिर पिटाई होती थी। मुझे नहीं पता था कि इसका कारण क्या है। वह मुझसे कहलवाना चाहते थे कि तुमने यह ब्लास्ट किया है और मुस्लिमों को मारा है।गौरतलब है कि अब मालेगांव ब्लास्ट में फैसला आ गया है। साध्वी प्रज्ञा बरी हो गई हैं। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।

साध्वी प्रज्ञा के सियासी करियर को कर दिया द एंड

मालेगांव ब्लास्ट में फैसला आ गया है। साध्वी प्रज्ञा इसमें बरी हो गई हैं। इस फैसले के साथ ही भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा की चर्चा हो रही है। ब्लास्ट के मामले में आरोपी होने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें भोपाल संसदीय क्षेत्र से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था। बिना इस बात की परवाह किए कि वह मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी हैं। मगर एक बयान की वजह से सियासी करियर शुरू होते ही उस पर फुल स्टॉप लग गया। वो लगा भी रहा और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने उनसे मुंह मोड़ लिया। सांसद रहने के बावजूद साध्वी प्रज्ञा को बड़े नेता अपने पास फटकने नहीं देते थे। आइए आपको बताते हैं कि कैसे साध्वी प्रज्ञा का सियासी करियर खत्म हो गया।

2019 में टिकट देकर बीजेपी ने सभी को चौंकाया

दरअसल, साध्वी प्रज्ञा सुनील जोशी की हत्या के बाद मालेगांव ब्लास्ट में नाम सामने आने के बाद चर्चा में आई थीं। उस समय मध्य प्रदेश की राजनीति में उनकी ज्यादा सक्रियता नहीं थी। बीजेपी ने जब उम्मीदवारों के नाम की घोषण की तो लिस्ट में भोपाल से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम था। वहीं, मैदान में कांग्रेस से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह थे। साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी घोषित होने के साथ ही बीजेपी ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया। वहीं, बीजेपी हिंदुत्व के नए पोस्टर वीमेन के रूप में साध्वी प्रज्ञा को प्रोजेक्ट कर रही थी। पूरी पार्टी साध्वी के साथ खड़ी थी। वहीं, दिग्विजय सिंह ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी। भोपाल का चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ी जा रही थी। भोपाल में वोटिंग होने के बाद साध्वी बीजेपी के अन्य उम्मीदवारों के प्रचार के लिए जाने लगीं।

नाथूराम गोडसे को बता दिया देशभक्त

दरअसल, मई 2019 में साध्वी प्रज्ञा देवास लोकसभा से प्रत्याशी महेंद्र सिंह सोलंकी के लिए आगर में चुनाव प्रचार करने गई थीं। चुनाव प्रचार के दौरान ही साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया था। वीडियो सामने आने के बाद चुनावी मौसम में भूचाल आ गया। बीजेपी ने फटाफट इस बयान से दूर बना ली। पार्टी के सभी नेता साध्वी प्रज्ञा के बयान को व्यक्तिगत बताने लगे। अभी देश में कुछ चरणों के चुनाव बचे थे। पार्टी के दबाव में साध्वी प्रज्ञा ने माफी मांग ली थी।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं मन से माफ नहीं करूंगा

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए आखिरी रैली थी। रैली के आखिरी दिन मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि गांधी जी या गोडसे के संबंध में जो बातें कही गई हैं, वह भयंकर खराब है। हर प्रकार के घृणा लायक हैं। सभ्य समाज में ऐसी भाषा नहीं चलती है। यह सोच नहीं चल सकती है। उन्होंने माफी मांग ली है लेकिन मैं अपने मन से माफ नहीं कर पाऊंगा। मन से कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।

साध्वी प्रज्ञा चुनाव जीत गईं

पीएम मोदी के बयान के बाद चुनाव के नतीजे आए। साध्वी प्रज्ञा ने कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को तीन लाख से अधिक वोटों से हरा दिया। भोपाल में जमकर जश्न मना है। रिजल्ट आने के बाद वह हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में उभरीं।

पीएम मोदी ने इग्नोर कर दिया

वहीं, चुनाव नतीजे के बाद एनडीए को प्रचंड जीत मिली थी। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एनडीए सांसदों की बैठक हुई। पीएम मोदी लोकसभा के नेता चुने गए। इसके बाद वह सभी सांसदों से मिल रहे थे। साथ ही उनसे से हाथ मिला रहे थे लेकिन साध्वी प्रज्ञा की तरफ हाथ नहीं बढ़ाया। मुंह मोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ गए। इससे साफ हो गया था कि साध्वी प्रज्ञा की राह आसान नहीं है।

संसद में भी बता दिया देशभक्त

साध्वी प्रज्ञा लेकिन कहा मानने वाली थीं। अपने बयानों से वह लगातार पार्टी को असहज कर रही थीं। लोकसभा में जब स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप संशोधन विधेयक पर बहस चल रही थी, तब डीएमके सांसद ए राजा ने नाथूराम गोडसे के बयान का जिक्र किया। इस पर उन्हें रोकते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कह दिया था कि एक देशभक्त उदाहरण इस तरह से नहीं दे सकते।

डमैज कंट्रोल में जुटी बीजेपी

इस बयान के बाद बीजेपी की फिर से फजीहत होने लगी। इसके बाद पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई। साध्वी प्रज्ञा को रक्षा सलाहकार समिति से हटा दिया गया। साथ ही संसदीय दल की बैठक से भी उन्हें दूर रखा गया। उनके बयान को भी संसद के रिकॉर्ड से हटाया गया। इसके बाद से ही वह पार्टी में हाशिए पर चली गईं।

बीजेपी ने बनाई दूरी

साध्वी प्रज्ञा के विवादों की वजह से पार्टी ने उनसे पूरी तरह से दूरी बना ली। केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी संगठन ने उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में बुलाना लगभग बंद कर दिया था। भोपाल शहर में उनके पोस्टर बैनर तक दिखने बंद हो गए थे। सार्वजनिक रूप से पार्टी के तमाम बड़े नेता उनसे दूरी बनाते रहे। हालत यह हो गई थी कि उन्हें अपने आसपास फटकने तक नहीं देते थे।

2024 में नहीं मिला टिकट

उस बयान के बाद साध्वी प्रज्ञा को पार्टी ने इग्नोर करना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही उनके करियर पर फुल स्टॉप लगने लगा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद सांसद के करियर पर पूरी तरह से विराम लग गया। वह बीजेपी के किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आती है। सियासी सक्रियता अब नग्णय हो गई है। गौरतलब है कि अब साध्वी प्रज्ञा मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी हो गई हैं। ऐसे में यह अटकलें हैं कि वह फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगी।