नई दिल्ली
चीन सीमा के पास केंद्र सरकार ने बड़े हाईवे के निर्माण को मंजूरी दी है। इससे सीमांत इलाकों तक कनेक्टिविटी में इजाफा होगा, इसके अलावा सुदूर अरुणाचल प्रदेश से अन्य राज्यों तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। अरुणाचल प्रदेश पर तवांग नाम से चीन दावा करता रहा है। ऐसे में उसके लिए इतने बड़े प्रोजेक्ट का ऐलान कर भारत ने उसे सीधा संदेश दिया है। मोदी सरकार के मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले में लगे एक मेले के दौरान इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह हाईवे चीन और भारत सीमा पर 12 जिलों से होकर गुजरेगा। यह एक सपने के पूरे होने जैसा होगा और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए यह गेमचेंजर बनेगा।
रिजिजू ने कहा कि इस हाईवे पर 42,000 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। यह अकेला ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने एक बार में ही इतने बड़े फंड को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे रणनीतिक रूप से बेहद अहम होगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे, कोलकाता-चेन्नै हाईवे और जयपुर दिल्ली कॉरिडोर आदि पर बड़ी लागत लगी है, लेकिन रणनीतिक रूप से अहम प्रोजेक्ट्स की बात करें तो यह सबसे अहम होगा। यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक रूप से संवेदनशील ईस्ट कामेंग, बिशोम, अपर सुबानसिरी, शी-योमी, अनजॉ और चांगलांग जैसे जिलों से होकर निकलेगा। रिजिजू ने कहा कि इतना अहम प्रोजेक्ट पीएम नरेंद्र मोदी के चलते ही मंजूर हुआ है।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस हाईवे का कुल रूट 1400 किलोमीटर लंबा होगा और कई जगहों पर तो यह चीन की सीमा से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर होगा। अरुणाचल प्रदेश के जिस मेले में रिजिजू ने इस हाईवे का ऐलान किया, उसमें वाइस प्रेसिडेंट जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे। बोसीमला मेले को संबोधित करते हुए रिजिजू ने कहा कि यह इलाका नेशनल हाईवे से दूर है। इसके बाद भी यहां उपराष्ट्रपति पहुंचे तो यह अहम बात है और इसे इतिहास में दर्ज किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति बोले- पूरा होने वाला है किरेन रिजिजू का सपना
उन्होंने कहा कि यह अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए गर्व की बात है। वहीं उपराष्ट्रपति ने भी कहा कि यह रिजिजू का सपना था कि एक ऐसा हाईवे अरुणाचल के लिए मंजूर हो और अब वह पूरा होने वाला है। उन्होंने कहा कि फंड को मंजूरी मिल चुकी है और अब पास काम शुरू होना है। न्योकुम योलो नाम के जिस मेले में रिजिजू और उपराष्ट्रपति मौजूद थे, वह अरुणाचल प्रदेश की निशी जनजाति का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है।

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