नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संदीप दीक्षित और अजय माकन जैसे नेता आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक हैं। नई दिल्ली विधानसभा सीट से ही संदीप दीक्षित उतरे हैं और ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस ने मजबूत कैंडिडेट दिए हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चुनाव में कोई गठबंधन नहीं है और खुलकर हमले संदीप दीक्षित की ओर से जारी हैं। लेकिन कांग्रेस को INDIA अलायंस के साथी ही पीछे हटने का 'ज्ञान' दे रहे हैं। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव पहले ही आप के साथ मंच साझा कर चुके हैं। यही नहीं उन्होंने एक बार फिर से दोहराया है कि वह AAP की चुनावी रैली में मंच साझा करेंगे। यही नहीं उन्होंने साफ कहा कि दिल्ली में भाजपा को आम आदमी पार्टी ही हरा सकती है। कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है। इसलिए हम उसकी बजाय आम आदमी पार्टी का ही समर्थन करेंगे।
वहीं ममता बनर्जी की पार्टी के नेता कुणाल घोष ने भी साफ कह दिया कि वे चाहते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ही सरकार बने। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए जरूरी है कि आम आदमी पार्टी मजबूत रहे और हम चाहते हैं कि वे लोग फिर से सत्ता में वापसी करें। इससे पहले बंगाल में भी ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टॉप नेता अधीर रंजन चौधरी टीएमसी के ही यूसुफ पठान के हाथों हार गए थे।
अब दिल्ली में भी टीएमसी ने कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का फैसला लिया है। यह कांग्रेस के लिए करारा झटका है। इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ उतर चुके उद्धव ठाकरे गुट ने भी आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने की सलाह दी है। उद्धव सेना के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा था कि दिल्ली में AAP और कांग्रेस को साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। इस तरह आपस में लड़ने की बजाय भाजपा से मुकाबला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि असली लड़ाई तो भाजपा से है। फिर आपस में दोनों दल क्यों लड़ रहे हैं।

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