इंदौर
भोपाल से लाए गए 337 टन कचरे में से तीस टन कचरे का निपटान हो चुका है। इस दौरान हानिकारक गैसें ज्यादा नहीं निकली, लेकिन अभी कचरे की राख को लैंडफील नहीं किया गया है। उसे रामकी संयंत्र में ही सुरक्षित रखा गया है। तीनों ट्रायल रन की रिपोर्ट अब 27 मार्च को होने वाली जबलपुर हाईकोर्ट की सुनवाई में प्रस्तुत की जाएगी। तीन टन कचरे के बाद फिलहाल भस्मक बंद है।
कोर्ट के निर्देशों के बाद फिर बचे कचरे के निष्पादन की कार्ययोजना तैयार होगी। उधर कचरा जलाने का विरोध कर रही पीथमपुर बचाअेां समिति का कहना है कि कचरा का क्लिनिकल ट्रायल होना चाहिए। कचरे को जलाने के बाद बची राख और निपटान के बाद भस्मक से डिस्चार्ज किए गए पानी की भी जांच के बारे में प्रदूषण नियंत्रण मंडल कुछ नहीं कह रहा। राख का निपटान कैसे होगा इस बारे में भी नहीं बताया जा रहा है।
समिति के हेंमत कुमार हिरोले ने कहा कि समिति भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भोपाल से लाए गए कचरे में मर्करी भी है, जो घातक न्यूरोटाॅक्सिन है, लेकिन रिपोर्ट में उसकी मात्रा का जिक्र नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कहना है कि तीनों ट्रायल रन के दौरान निकली गैसों पर निगरानी रखी गई है। गैसों का उत्सर्जन तय मापदंडों के अनुरुप पाया गया है। कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद जो निर्देश मिलेंगे। उसके आधार पर आगे कचरे का निपटान होगा। फिलहाल भस्मक में कचरा नहीं जलाया जा रहा है।
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