July 13, 2025

भारतीय भाषा में अध्यापन के केंद्र बनेंगे विश्वविद्यालय : मंत्री परमार

भोपाल 
उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार की अध्यक्षता में शनिवार को, सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर (स्वशासी) महाविद्यालय भोपाल के सभाकक्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत "भारतीय ज्ञान परंपरा शीर्ष समिति" की बैठक हुई।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा कर, अध्यादेश 14(1) एवं अध्यादेश 14(2) के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के 10 संभागों में समयपूर्वक कार्यशालाओं के आयोजन कर व्यापक रूप से विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों तक लागू अध्यादेशों से अवगत कराने के निर्देश दिए। श्री परमार ने विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रमों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन भी समयपूर्वक सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। श्री परमार ने प्रदेश के समस्त भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ प्रभारियों को लेकर भी कार्यशाला आयोजित करने को कहा। श्री परमार ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं में अध्यापन के लिए कार्ययोजना बनाई जाए और इसे विद्यार्थियों के मूल्यांकन क्रेडिट से भी जोड़ा जाए। श्री परमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषा में अध्यापन का केंद्र बनाने के लिए कार्य करें।

मंत्री श्री परमार ने कहा कि "ज्ञान बोध प्रतियोगिता" में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पारंपरिक विषयों में भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित प्रश्नावली का समावेश करें ताकि विद्यार्थियों को भारतीय दृष्टि के साथ समाज में विद्यमान परंपरागत ज्ञान के अध्ययन एवं शोध का अवसर मिले। श्री परमार ने कहा कि विश्व शांति दिवस पर भारतीय दृष्टिकोण वसुधैव कुटुंबकम् – विश्व एक परिवार का भाव, को मूल में रखकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। हिंदी पखवाड़े के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में विशुद्ध हिंदी भाषा के उपयोग के साथ पूर्णता प्रदान की जाए। श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में, मप्र हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित कला, वाणिज्य एवं विज्ञान विषयों में उत्कृष्ट पुस्तक लेखन के लिए, "श्रेष्ठ लेखक पुरस्कार" प्रदान किया जाए।

बैठक के आरंभ में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी उच्च शिक्षा डॉ धीरेंद्र शुक्ल ने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में स्नातक प्रथम वर्ष के लिए चिन्हित विषयों की पांडुलिपियों में अकादमिक गुणवत्ता परीक्षण के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला से प्राप्त निष्कर्ष पर प्रकाश डाला। उक्त कार्यशाला में प्रदेश एवं देश भर के 200 से अधिक शिक्षाविदों ने सहभागिता की।

बैठक में स्नातक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा को समाहित करने के लिए, प्रदेश के 27 विश्वविद्यालयों में कार्यशालाओं के आयोजन करने को लेकर चर्चा हुई। अध्यादेश 14(1) एवं अध्यादेश 14(2) के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के 10 संभागों में कार्यशालाओं के आयोजन करने को लेकर भी विमर्श हुआ। भारतीय ज्ञान परम्परा के परिप्रेक्ष्य में महाविद्यालयों में किए जाने वाले आयोजन संबंधी त्रैमासिक कैलेंडर को लेकर व्यापक विचार मंथन हुआ। साथ ही भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित पाठ्यक्रम निर्माण, पुस्तक लेखन, पांडुलिपि परीक्षण, दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला, अकादमिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई। उच्च शिक्षा विभाग एवं मप्र हिंदी ग्रन्थ अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में सामान्य ज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित "ज्ञान बोध प्रतियोगिता" के आयोजन, भारतीय ज्ञान परम्परा के जानकार शिक्षकों की बैठक का आयोजन एवं प्रतिवर्ष प्रत्येक वर्ष की समाप्ति के पश्चात् वृहद संगोष्ठी के आयोजन को लेकर भी व्यापक विमर्श हुआ। समस्त सम्बंधित विषयों में संदर्भ पुस्तकों के लेखन को लेकर भी चर्चा हुई, जिसमें भारतीय ज्ञान परम्परा पर शोध की दृष्टि से कार्य किया गया है। राज्यस्तरीय भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ स्थापित करने को लेकर भी चर्चा हुई।

बैठक में शीर्ष समिति के उपाध्यक्ष एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के सचिव डॉ अतुल कोठारी, मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक श्री अशोक कड़ेल और प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र कान्हेरे सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरुगण, शीर्ष समिति के सदस्यगण, शिक्षाविद् तथा उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।