
नई दिल्ली
योग यह एक शब्द मात्र ही नहीं है। पूरी जीवनशैली है, वह भी आध्यात्मिकता और पावनता के साथ। तन-मन-आत्मा की फिटनेस का आध्यात्मिक फार्मूला है योग। योग करने का विधान पूजन से कम नहीं है। मन की शुद्धि, स्वच्छ सोच और पूरी स्वच्छता के साथ योग किया जाता है। योग व्यक्ति को स्वस्थ ही नहीं बनाता, बल्कि ईश्वर की उपासना का माध्यम भी बनाता है।
योग एक अभ्यास नहीं, एक जाग्रत चेतना है और 21 जून को धरती के अक्षीय झुकाव (Axial Tilt) के कारण पृथ्वी की प्राणशक्ति ब्रह्मांडीय चेतना से अधिकतम जुड़ाव में होती है। इस दिन शरीर की आंतरिक ताप ऊर्जा (अग्नि तत्त्व) अत्यंत संवेदनशील होती है। इस समय साधना करने से तीव्र आत्मिक जागृति, कुंडलिनी स्पर्श और अभौतिक दृष्टि (divine vision) जागृत होती है।
21 जून विश्व योग दिवस पर करें ये दुर्लभ योग साधना विधि: यदि आप इस दिन को एक सच्चे योगी की तरह मनाना चाहते हैं, तो ये मूल, गूढ़ योग विधि करें। प्रात: 3:45 से 6:00 (ब्रह्म मुहूर्त साधना) में कमर सीधी करके पद्मासन या सिद्धासन में बैठें। आंखें बंद करें और 12 बार गहरी प्राणायाम लें। 4 सेकंड श्वास, 4 सेकंड रोकें, 6 सेकंड छोड़ें।
इसके बाद 21 मिनट त्राटक साधना करें, एक दीपक की लौ पर बिना पलक झपकाए देखें और अग्नि बिंदु में शिव का ध्यान करें।
अंत में 7 बार यह गुप्त बीज मंत्र बोलें: ॐ योगाय सिद्धाय योगेश्वराय नमः॥
इसे सिद्ध-संयोग विधि कहते हैं– यह केवल साल में 2 दिन 21 जून और 21 दिसंबर को ही अत्यधिक प्रभावशाली मानी गई है।
एक विशेष योगिक तप जो सिर्फ योग दिवस के दिन किया जाता है:
मौन व्रत योग– इस दिन कम से कम 3 घंटे मौन रहना और मानसिक जाप करना अत्यंत शुभ होता है।
इससे वाक्-शक्ति नियंत्रित होकर मन शक्ति में परिवर्तित होती है। जो योग की सबसे ऊंची अवस्था प्रत्याहार की ओर ले जाती है।
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